आचार संहिता क्या होती है, इसका भारतीय चुनाव प्रणाली में क्या योगदान है? What is code of conduct of election commission - LS Home Tech

Monday, March 11, 2019

आचार संहिता क्या होती है, इसका भारतीय चुनाव प्रणाली में क्या योगदान है? What is code of conduct of election commission

भारतीय Election commission/चुनाव आयोग द्वारा जब भी चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाती है। इसके बाद तत्काल प्रभाव से आचार संहिता लागु हो जाती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद -324 के तहत निर्विवाद और निष्पक्ष तरिके से किसी भी चुनाव को संपन्न करवाना ही इसका मुख्य मकसद होता है। साथ ही आचार संहिता के दौरान सभी राजनेताओं और चुनाव में खड़े उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के सभी कायदों का पालन करना होता है। अगर कोई भी राजनेता या अधिकारी आचार संहिता लगने के बाद किसी भी असंवैधानिक तरिके का प्रयोग करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग सख्त कार्यवाही कर सकता है। हमारे देश का चुनाव आयोग/Election Commission एक स्थायी तत्पर और स्वतंत्र निकाय है। यह निकाय हमारे देश में संसद, राज्य विधान मंडल, भारत के राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के पदों के लिए चुनाव से सम्बंधित सभी कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है।

what is aachar sanhita code of conduct


आइये जाने आचार संहिता/Code of Conduct किसे कहते हैं, इसे कब लागू क्या जाता है? 
भारतवर्ष के निर्वाचन आयोग द्वारा निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव करवाने के लिए सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव से सम्बंधित सभी दिशा निर्देश बनाये गए हैं, ताकि चुनाव को एक निर्देशित तरीके से पूर्ण करवाया जा सके। इन्ही निर्देशों/नियमों को चुनाव आचार संहिता कहा जाता है। इस आचार संहिता में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों और सरकारी अधिकारियों के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश होते हैं कि उनको चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कौन से कार्य करने हैं, और कौन से कार्य नहीं करने।


आचार संहिता चुनाव से कितने दिन पहले लगती है?
Election commission चुनाव कराने के लिए ऐसी तिथि की घोषणा करता है जो कि सामान्यतः चुनावों की अधिसूचना जारी होने की तिथि के 21 से 40 दिन पहले पड़ती हो। भारतीय राजनीतिक दृष्टिकोण से दलों और उम्मीदवारों के लिए सामान्य आचार संहिता लगाई जाती है। इस आचार संहिता में क्या-क्या नियम और शर्तें होती है वो इस प्रकार से हैं।

  • कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार जाति और धर्म के आधार पर वोट नही मांग सकता । किसी भी परिस्थिति में  मंदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों और अन्य पूजा स्थलों का प्रयोग चुनाव प्रचार के लिए नही किया जा सकता।
  • कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं हो सकता जिससे कि किसी जाति, धर्म के लोगों के बीच घृणा और तनाव का माहौल पैदा हो।
  • किसी भी राजनीतिक दल और उम्मीदवार को अपने विपक्षी दलों की नीतियों और कार्यक्रमों की आलोचना करने का अधिकार होगा। लेकिन इसमें किसी उम्मीदवार के निजी जीवन या परिवार के ऊपर कोई भी टिप्पणी करने की छूट नही होती।
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  • किसी भी तरीके से मतदाताओं को धमकाना, घूस देना, मतदान केन्द्रों से 100 मीटर की परिधि में चुनाव प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के 48 घंटे के भीतर सार्वजानिक सभा का आयोजन करने और मतदाताओं को वोट डालने के लिए ले जाने और लाने के लिए वाहन की व्यवस्था इत्यादि काम करना भी आचार संहिता में प्रतिबंधित होता है।
  • कोई  भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार किसी के मकान, भूमि, दीवार इत्यादि का प्रयोग बैनर लगाने ओर लाउड स्पीकर लगाने का काम संपत्ति के मालिक की मंजूरी के बिना नही कर सकता।
  • कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को विपक्षी दल के जुलूस में बाधा डालने, उनकी सभा में अपना पर्चा बांटने और सभा को बंद करने जैसे काम करने की अनुमति नहीं होती।
  • किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को किसी भी जगह पर सभा का आयोजन करने से पहले उस क्षेत्र की पुलिस या सम्बंधित अधिकारी से अनुमति लेनी जरूरी होती है, ताकि यातायात और जनता की सुरक्षा के अन्य जरूरी इंतजाम किये जा सकें।
  • यदि कोई दल या उम्मीदवार जुलूस का आयोजन करने वाला है तो इसका मार्ग कौनसा होगा, जुलूस किस समय शुरू होगा और किस जगह पर कितनी देर तक इसका आयोजन होगा, इसकी पूरी जानकारी शासन को देनी होती है, और इसमें किसी तरह का परिवर्तन नही हो सकता।
  • राजनीतिक दल या उम्मीदवार सुनिश्चित करेंगे कि मतदान के दिन मतदाताओं को बांटी जाने वाली पर्ची सादे कागज पर होगी, और उसमे किसी दल या उम्मीदवार का नाम और पार्टी का निशान नहीं दर्शाया जाएगा।
  • मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले शराब के ठेके बन्द कर दिए जाएंगे। किसी भी हालत में मतदाताओं को शराब इत्यादि नही बांटी जानी चाहिए।
  • सत्ताधारी पार्टी के मंत्री चुनावी दौरों के दौरानकिसी भी  सरकारी तंत्र जैसे सरकारी कर्मचारियों, वाहनों, सरकारी भवनों का प्रयोग चुनाव के लिए नहीं करेंगे।
  • सार्वजानिक स्थलों, हेली-पैडों एवं हवाई जहाजों के ऊपर सत्ताधारी दल का एकाधिकार नहीं होगा, अन्य दलों के उम्मीदवार भी इनका प्रयोग उन्हीं शर्तों के साथ कर सकेंगे जो कि सत्ताधारी दल कर रहा होता है।
  • सरकारी खर्च पर कोई भी विज्ञापन समाचार पत्रों एवं जन-संचार माध्यमों से जारी नही किया जाना चाहिए और चुनाव के दौरान सरकारी जन-माध्यमों का प्रयोग सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए भी नही किया जाना चाहिए।
  • कोई भी मंत्री एवं अन्य अधिकारी, चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद अपने अधीन निधि से किसी भी प्रकार का भुगतान या अनुदान नहीं दे सकता है जिसको हमने निचे क्रमबद्ध तरिके से दर्शाया है। 

  1. किसी भी प्रकार के वित्तीय अनुदान या किसी नयी योजना की घोषणा नही कर सकते हैं। 
  2. किसी भी प्रकार के वित्तीय अनुदान अथवा वादे की घोषणा नही कर सकते हैं। 
  3. बिजली, पानी, सड़क, स्कूल और अस्पताल जैसी कोई नई घोषणा नही कर सकते हैं। 
  4. सरकार या किसी विभाग में कोई तदर्थ (Ad hoc) नियुक्ति नहीं कर सकते हैं।
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उपरोक्त बिन्दुओं को यायावर पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे कि चुनाव आयोग देश में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए कितने आवश्यक उपायों को अपनाता है। आमतौर पर व्यवहारिक रूप में यह पाया गया है कि चुनाव आयोग द्वारा बनाये गए सभी नियम पूरी तरह से अमल में नहीं लाये जाते। इनके कारण बहुत बार चुनाव आयोग के नियमों पर सवाल खड़ा हो जाता है।

दोस्तों आशा करता हूँ आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर हमारे द्वारा दी गई जानकरी अच्छी लगी तो इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक Share करे तथा इस आर्टिकल संबंधी अगर किसी का कोई भी सुझाव या सवाल है तो वो हमें जरूर लिखें।


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