क्रिसमस डे/Christmas Day? क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे क्या कहानी है? - LS Home Tech

Monday, December 9, 2019

क्रिसमस डे/Christmas Day? क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे क्या कहानी है?

दोस्तों नमस्कार, हमारे वेब पोर्टल पर आपका बहुत स्वागत है, आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए क्रिसमस डे/Christmas Day से जुडी समस्त जानकारी आपके साथ साँझा करेंगे। आशा करता हूँ आपको ये जानकाररी पसंद आएगी। 
Santa Claus photos

कब मनाया जाता है क्रिसमस डे/Christmas Day?
आज भारत ही नहीं अपितु सारी दुनिया में 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस डे/Christmas Day बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है।ये ईसाई धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा त्यौहार है। 24 दिसंबर की रात से ही ये लोग आपस में एक दूसरे को, मित्रों को, रिश्तेदारों को " हैप्पी क्रिसमस/Happy Christmas और मैरी क्रिसमस/Merry Christmas" बधाइयाँ देना शुरू कर देते हैं। इस त्यौहार में जहाँ पर लोग इसे मानते हैं या मनाते हैं उन सभी शहरों के घरों में क्रिसमस ट्री/पौधा को विभिन्न प्रकार की लाइटों से सजाया जाता है। लोग आपस में एक दूसरे को विभिन्न प्रकार के गिफ्ट/उपहार देते हैं। साथ ही सभी के जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। 

क्यों मनाया जाता है क्रिसमस डे/Christmas Day?
इस दिन का आरम्भ चौथी शदी से माना जा रहा है। क्रिसमस डे/Christmas Day को लोग प्रभु यीशु के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। चौथी शदी से पहले प्रभु यीशु के अनुयायी उनके जन्मदिवस को किसी त्यौहार के रूप में नहीं मानते थे। प्रभु यीशु के पैदा होने और उनकी मृत्यु के सैंकड़ों सालों बाद लोगों ने 25 दिसंबर को इसे मानना शुरू किया था। पभु यीशु के जन्मदिन की कोई पुख्ता तिथि मौजूद किसी भी लेख में मौजूद नहीं है। कुछ ऐतिहासिक पुस्तकों के अनुसार उनका जन्म तो अक्टूबर माह में माना गया है। 25 दिसंबर को इसे मनाये जाने के पीछे एक मानसिक विचारधारा है। ऐसा माना जाता है की रोम में कुछ गैर ईसाई मजहब के लोग 25 दिसंबर को सूर्य देव का जन्मदिन मनाते थे। ईसाई होने का दावा ठोकने वाले कुछ लोगों ने इसी दिन को प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में चुना। और उसी दिन से इसे क्रिसमस डे 25 दिसंबर को मनाया जाने लगा। 

एक प्रचलित वाकया। 
एक ऐतिहासिक पुस्तक "The New Encyclopedia Britannica" के अनुसार सर्दियों के मोषम में जब सूरज की गर्मी कम हो जाती है तब गैर-ईसाई लोग सूरज के फिर से जल्दी लौट आने की कामना के साथ उनकी जो एक रस्म थी वो निभाते थे, ताकि सूरज अपनी लम्बी यात्रा से जल्दी लौट आये और उन्हें गर्मी दें। उनके इसी त्यौहार और रस्म को ईसाई समुदाय के धर्मगुरुओं ने और लोगो ने अपने धर्म से मिलाकर इस दिन को यानि 25 दिसंबर को ईसाईयों का त्यौहार(क्रिसमस डे/Christmas Day) नाम दे दिया। 

25 दिसंबर को ही साल के सबसे बड़े दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कुछ चीजें बहुत खास होती हैं।    

25 दिसंबर यानी क्रिसमस डे का बच्चों को बहुत इंतज़ार रहता है। सांता क्लॉस/Santa Claus को तो बच्चा-बच्चा जानता है। सांता क्लॉस का जन्म तीसरी शदी में जीसस की मृत्यु के लगभग 280 सालों बाद मायरा में हुआ था। बचपन में माता-पिता की मृत्यु के बाद सांता क्लॉस को सिर्फ "गॉड जीसस" पर ही यकीं था।  बड़े होने के बाद सांता क्लॉस ने अपना जीवन प्रभु को ही अर्पण कर दिया। वो पहले एक पादरी बने उसके बाद वो बिशप बने। सांता क्लॉस को लोगों की मदद करना बेहद पसंद था। वो गरीब बच्चों और लोगों गिफ्ट/उपहार दिया करते थे। क्लॉस को इसलिए लोग सांता कहते हैं क्यूंकि वो लोगों को उपहार रात्रि के वक़्त अर्धरात्रि को  ही दिया करते थे। सांता क्लॉस नहीं चाहते थे की उन्हें उपहार किसने दिया है, इसलिए वो लोगों को रात के वक़्त ही उपहार देते थे। 

क्रिसमस डे/Christmas Day मनाये जाने के पीछे और भी बहुत सारी कहावतें हैं जिनका जिक्र हम अपने अगले आर्टिकल में करेंगे। 

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