ऑप्टिकल फाइबर क्या है, इसका अविष्कार किसने किया? - LS Home Tech

Saturday, July 9, 2022

ऑप्टिकल फाइबर क्या है, इसका अविष्कार किसने किया?

Optical Fiber क्या है?

वैसे तो टेक्नोलॉजी हर कदम पर बदलाव ला रही है, लेकिन आज के जमाने का सबसे बड़ा और नवीनतम तकनीकी विकास एक केबल या तार के माध्यम से हो पाया है, जिसे हम Optical Fiber कहते हैं। ये एक बहुत ही पतली तार होती है, जो आपके बाल से भी बहुत ज्यादा पतली होती है, ओर इसी तार द्वारा लाइट के प्रयोग से किसी भी तरह के Data को Transmitter ओर Receiver द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहुत तेज गति के साथ भेजा और प्राप्त किया जा सकता है। ऑप्टिकल फाइबर यानी वो तंतु जिनसे डाटा ट्रांसफर होता है, उनको काँच या प्लास्टिक द्वारा बनाया जाता है, ओर इनमे से ही प्रकाश के रूप में जानकारी को इधर-उधर भेजा जाता है।
Optical Fiber Wikipedia

Optical Fiber केबल में प्रकाश को एक कोने से डालने पर वो दूसरे कोने तक बिना कोई लॉस किये प्रकाश को भेज देती है। ये केबल टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन/Total Internal Reflection के नियम पर कार्य करती है। OF यानी ऑप्टिकल फाइबर में बिजली की जगह प्रकाश को संचारित किया जाता है, बिजली का प्रयोग इसमे केवल इसकी गति को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस फाइबर केबल में डाटा की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से चलती है। आज आप देख भी रहे होंगे कि जितना भी इंटरनेट चल रहा है, सब ऑप्टिकल फाइबर की ही देन है। एक देश से दूसरे देश आये कहें कि पूरे विश्व को इंटरनेट से अगर हम जुड़े हैं तो वो केवल Optical Fiber केबल के द्वारा ही संभव हो पाया है।


ऑप्टिकल फाइबर का अविष्कार किसने किया? 
कुछ सालों पहले जब तकीनीकी युग नहीं था तब 1840 के दशक में Colladon ओर Jacques Babinet ने अपने एक सिद्धान्त के द्वारा सिद्ध किया कि प्रकाश/Light को अपवर्तन/Reflection के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह भेज जा सकता है। तभी से पहली बार इस तरह के फाइबर पर रिसर्च शुरू हुआ और इसको संशोधन के लिए तैयार किया गया। बाद में साल 1854 में ब्रिटिश मूल के भौतिक विज्ञानी Tyndall ने अपने एक प्रयोग द्वारा सिद्ध किया कि प्रकाश को मोड़ा जा सकता है।

FO को काफी लंबे समय के बाद बहुत ही विकसित किया गया, जिसका सारा श्रेय भारतीय मूल के वैज्ञानिक श्री Narender Singh Kapali को जाता है। इन्होंने ही पहली बार उम्दा ओर परिष्कृत ऑप्टिकल फाइबर केबल का अविष्कार साल 1960 में किया था। इन्होंने ही सिद्ध किया था कि प्रकाश को सीधा ट्रेवल करने की बजाय इसे फाइबर की मदद से किसी भी दिशा में ट्रेवल करवाया जा सकता है। उसमे कुछ और नए रिसर्च के बाद साल 1975 में पहली फाइबर ऑप्टिकल केबल संचार प्रणाली को विकसित किया गया था। जैसे -जैसे विकास होता गया इसका दायरा बढ़ता गया, और असज हम सभी देख ही रहे है कि सम्पूर्ण विश्व को ऑप्टिकल फाइबर की मदद से जोड़ दिया गया है। ऑप्टिकल फाइबर का नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़ा और निरंतर चलने वाला नेटवर्क है।

ऑप्टिकल फाइबर की कार्यप्रणाली:
जैसा कि हम आपको शुरू में ही बता चुके हैं को OF केवल प्रकाश जे माध्यम से ही डाटा को एक जगह से दूसरी जगह भेजने में सक्षम है, ओर ये दूरी कुछ मीटर से लेकर मिलों तक कि भी हो सकती है, इससे इसमे कोई फर्क नहीं पड़ता। इसमे दो Layer होती हैं, जिसमे एक का नाम Core ओर दूसरी का नाम Cladding होता है। ऑप्टिकल फाइबर के दोनों सिरों पर दो तरह के Instrument लगाए जाते है, एक होता है Transmitter इर दूसरा होता है Receiver। जहां ट्रांसमीटर के द्वारा इसमे डाटा को प्रोसेस करके Light Plus के रूप में फाइबर के माध्यम से Receiver तक भेजा जाता है। जब लाइट प्लस रिसीवर तक जाती है तो Receiver इनको फिर से Process करके Information में बदल देता है। अगर फाइबर केबल की दूरी लम्बी हो तो इसके लिए बीच-बीच मे Power Supply से Power भी दी जाती है।

ऑप्टिकल फाइबर के प्रकार:
सामान्यतः ऑप्टिकल फाइबर को Signal ओर Strength के आधार पर विभाजित किया जाता है।

Signal के आधार पर- 
Single Mode:  इस तरह की केबल में एक समय मे केवल एक ही सिग्नल पास हो सकता है। इसका मतलब ये है कि इसमे प्रकाश केवल एक ही डायरेक्शन में पास होता है। लेकिन बहुत दूर तक डाटा पहुंचाने के लिए ये सबसे बेहतरीन होती है।

Multi Mode: इस तरह की केबल में दो या दो से ज्यादा Signal पास हो सकते हैं। क्योंकि इसमे दो से ज्यादा प्रकाश मार्ग होते हैं। इसके तंतुओं को इस तरह से बैठाया जाता है कि आपस मे ना सट सकें। इन केबल का प्रयोग छोटी दूरी के लिए किया जाता है।

Strength के आधार पर-
Loose Configuration: इस तरह की फाइबर केबल में काँच के तंतु या फाइबर की कोर के चारों तरफ एक तरह का Liquid Gel भरा होता है, जो इन तंतुओं को प्रोटेक्ट करता है। इस तरह की केबल कम कीमत वाली होती है।

Hard या Tight Configuration: इस तरह की फाइबर केबल में फाइबर तंतुओं की मजबूती ओर सुरक्षा के लिए इसमे Strength Wire का इस्तेमाल किया जाता है।

ऑप्टिकल फाइबर के फायदे:
1. सामान्यतः धातु के तार के मुकाबले फाइबर के द्वारा इनसे काफी ज्यादा Bandwidth वाले Signal को दूर तक भेजा जा सकता है।
2. ऑप्टिकल फाइबर पर किसी तरह के चुम्बकीय तत्व या क्षेत्र का प्रभाव नहीं होता।
3. इंसान के लिए किसी भी तरह से नुकसानदायक नहीं है।
4. ऑप्टिकल फाइबर बहुत पतले ओर हल्के होते हैं, इनकी मोटाई आपके बाल से कम होती है।
5. ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से डाटा पूरी तरह से सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाता है।
6. इसके द्वारा Analog ओर Digital दोनो तरह के Signal को आसानी से भेजा जा सकता है। लेकिन डिजिटल सिग्नल बेहद उम्दा रहते हैं।

जहां ऑप्टिकल फाइबर के बहुत से फायदे हैं, वहीं इसकी कुछ कमियां भी है जिसे कि-
1. कीमत के हिसाब से ऑप्टिकल फाइबर केबल काफी महंगी होती है।
2. ऑप्टिकल फाइबर के लिए Setup करना कुछ ज्यादा Complicated होता है।
3. ज्यादा मोड़ने पर इसके तंतु टूटने का डर बना रहता है।
4. टूटने के बाद इसे रिपेयर करना काफी महंगा होता है, ओर इसके लिए कुशल तकनीशियन की भी जरूरत पड़ती है।

तो दोस्तों आशा करता हूँ की आपको हमारे द्वारा दी गई ये जानकारी" "पसंद आयी होगी। अगर इससे सम्बंधित आप कोई सलाह या सुझाव हमें देना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। आप हमारे दूसरे आर्टिकल के लिए हमें सब्सक्राइब भी कर सकते हैं। आप हमें कमेंट करके बता भी सकते हैं कि आपको किसी विषय पर हमारी वेबसाइट पर जानकरी चाहिए, हम जल्द से जल्द वो जानकारी हमारी वेबसाइट पर आपके लिए उपलब्ध करने की कोशिश। हमारी इस जानकारी को दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। धन्यवाद 

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