आज हम भारत में हो रहे परिवहन विकास यात्रा की बात करने वाले है। हमारे देश में आज तकनिकी विकास का बोलबाला है चाहे वो किसी भी क्षेत्र में हो। पिछले लेख में हमने भारतीय रेल के इतिहास के बारे में जाना था, और आज हम इस लेख में भारत में बढ़ते जा रहे मेट्रो ट्रैन वाले शहरों के बारे में जानेंगे की भारत में किस-किस शहर में मेट्रो ट्रैन की सेवा उपलब्ध है। शुरुआत की बात करें, तो साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कोलकाता में पहले मेट्रो का उद्घाटन किया था। इसके बाद से ही लोगों के सफर को सस्ता और आरामदायक बनाने की कोशिश जारी है। खास बात ये है कि शहरों में मेट्रो दौड़ाने से न केवल पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बोझ कम हुआ है, बल्कि पेट्रोल और डीजल के खपत को भी कम किया गया है।
कोलाकाता मेट्रो
कोलकाता में मेट्रो से पहले 1969 में ट्राम की शुरुआत हुई थी जो आज भी कोलकाता के सड़ाके की शान है। कोलकाता मेट्रो कार्पोरेशन ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में मेट्रो प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। कोलकाता में 97 किलोमीटर के रेल नेटवर्क है। जहां हर रोज 5 लाख यात्री सफर करते हैं। कोलकाता से हुई थी देश में सबसे पहली मेट्रो परियोजना की शुरुआत। पहली मेट्रो परियोजना की शुरुआत पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुई थी। महानगर परिवहन परियोजना ने साल 1971 में मास्टर प्लान के तहत बनाई थी योजना यहां करीब पांच लाख लोग रोजाना कोलकाता मेट्रो से सफर करते हैं। साल 1995 में दमदम से टॉलीगंज तक फेज-1 का निर्माण काम पूरा हुआ। इसके बाद फेज-2 के तहत साल 2009 में महानायक उत्तम नगर से कवि नाजरुल स्टेशन तक मेट्रो सेवा शुरू हुई। साल 2010 और 2013 में इसे क्रमश: कवि सुभाष स्टेशन और नावपारा स्टेशन तक बढ़ा दिया गया। भविष्य में कोलकाता मेट्रो को पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर के तहत हावड़ा रेलवे स्टेशन और बिधाननगर तक बढ़ाने की योजना है। ये मेट्रो परियोजना दुनिया के दो सबसे व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों को जोड़ेगी। यही नहीं, इसका मेट्रो ट्रैक हुगली नदी से होते हुए गुजरेगा। ये देश की पहली किसी नदी से गुजरने वाली मेट्रो होगी।
हैदराबाद मेट्रो
हैदराबाद भारत के बड़े शहरों में से एक है। इस शहर में बहुत सी ऐतिहासिक चीजे हैं। हैदराबाद में मेट्रो की शुरुआत 2015 में हुई थी। 2017-18 तक हैदराबाद मेट्रो कार्पोरेशन का लक्ष्य प्रति दिन 15 लाख लोगों को सेवा देने का था। 72 किलोमीटर लंबी इस परियोजना में 66 स्टेशन हैं।
28 नवंबर, 2017 को हुई शुरुआत, प्रोजेक्ट 2012 में शुरू हुआ था। मियापुर से नागोले के बीच 30 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइन, कुल 24 स्टेशन तीन चरणों में होगा मेट्रो प्रोजेक्ट, 2018 तक का समय था, इस प्रोजेक्ट में देरी के कारण लागत 14,132 करोड़ रुपये से बढ़कर करीब 18,800 करोड़ हुई।
दिल्ली मेट्रो
25 दिसंबर 2002 को दिल्ली में सबसे पहले शाहदरा और तीस हजारी के बीच मेट्रो की शुरुआत हुई थी25 दिसंबर 2002 को दिल्ली में सबसे पहले शाहदरा और तीस हजारी के बीच मेट्रो की शुरुआत हुई थी। दिल्ली मेट्रो अभी तक के सबसे सफल प्रोजेक्ट में से एक है। दिल्ली में लाखों की संख्या में लोग दिल्ली मेट्रो पर निर्भर करते हैं। यहां हर रोज 350 मेट्रो चलती है जो हर दिन 70000 किलोमीटर के फासले को तय करती हैं। दिल्ली मेट्रो ने राजधानी की सड़कों से करीब 3.9 लाख वाहनों को कम करने में मदद की है। दिल्ली मेट्रो पांच लाइनों (रेड, येलो, ब्लू, ग्रीन और वॉयलेट) पर रेल यात्रा का संचालन करता है। इन पांच लाइनों पर चार, छह और आठ कोच वाली 235 ट्रेनें चलती है। आंकड़ों के मुताबिक, 6 कोच वाली 100 से ज्यादा ट्रेनें और आठ कोच वाली करीब 60 ट्रेनें चल रही है।
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बेंगलुरु मेट्रो
बेंगलुरु मेट्रो से रोजाना करीब 9.78 लाख यात्री सफर करते हैंबेंगलुरु मेट्रो से रोजाना करीब 9.78 लाख यात्री सफर करते हैं। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थित मेट्रो को नम्मा मेट्रो के नाम से भी जाना जाता है। बेंगलुरु में सबसे पहले मेट्रो ऑपरेशन की शुरुआत 20 अक्टूबर, 2011 को एमजी रोड से बैयप्पनहल्ली स्टेशन के बीच हुई थी। वर्तमान में बेंगलुरु में दो मेट्रो लाइन (पर्पल और ग्रीन) 42.30 किमी के एरिया में संचालित हो रही है। जिसमें से पर्पल लाइन की कुल लंबाई 18.10 किमी और ग्रीन लाइन की कुल लंबाई 24.20 किमी है। साल 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु मेट्रो से रोजाना करीब 9.78 लाख यात्री सफर करते हैं, जबकि साल 2021 तक यात्रियों की संख्या बढ़कर 13.65 लाख होने की उम्मीद है। बेंगलुरु मेट्रो के फेज-2 के लिए चार जनवरी 2011 को इजाजत दी जा चुकी है। इस योजना के तहत तीन नई लाइने डार्क ब्लू, रेड और यलो पर 72 किमी का कार्य निर्माणधीन है। फेज-2 में कुल 61 मेट्रो स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जिसका बजट करीब 26,405 करोड़ रुपये का है।
कोच्ची मेट्रो
कोच्ची का नाम भारत के सबसे बुद्धिमान शहरों में गिना जाता है। यहां का लिट्रेसी रेट सबसे ज्यादा है। यहां 22 स्टेशनों पर कोच्ची मेट्रो प्रोजेक्ट है। कोच्ची मेट्रो कार्पोरेशन डीएमआरसी के साथ मिलकर पूरे कोच्ची को कवर करना चाहती है। यहां 8 कोच में 975 लोग आते हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 जून को कोच्चि मेट्रो को हरी झंडी दिखाई थी। यहां मेट्रो 13 किलोमीटर लंबे आलुवा से पालारिवट्टम मार्ग पर 11 स्टेशनों को जोड़ती है। आलुवा से पेट्टा तक की 25 किलोमीटर की परियोजना के लिए कुल 5,180 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. लेकिन अभी इसके एक ही हिस्से का उद्घाटन किया गया है। कोच्चि मेट्रो को बनाने का काम साल 2012 में शुरू हुआ था, जब पूर्व ओमन चांडी सरकार ने इस परियोजना को 'मेट्रो मैन' ई श्रीधरन को सौंपा था. ओमन चांडी सरकार ने 2005 में इस परियोजना को मंजूरी दी थी. उसके बाद साल 2006 में अच्युतानंदन की सरकार आ गई और यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई. लेकिन चांडी के दोबारा 2011 में सत्ता में आने के बाद इस परियोजना पर काम तेजी से शुरू हुआ। कोच्चि मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (केएमआरएल) के एक अधिकारी के मुताबिक, कोच्चि मेट्रो में हर दिन करीब 47,646 यात्री सफर करते हैं, जबकि यह संख्या 20,000 से लेकर 98,000 के बीच है।
चेन्नई मेट्रो
चेन्नई मेट्रो के तौर पर शहर को वर्ल्ड क्लास ट्रॉन्सपोटेशन सिस्टम मिला। चेन्नई हर रोज 6 लाख यात्री मेट्रो से सफर करते हैं। चेन्नई मेट्रो कार्पोरेशन चाहता है कि मेट्रो हर 2 मिनट 30 सेकेंड में एक स्टेशन को कवर करे। चेन्नई में सबसे पहले मेट्रो का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने जून 2015 में किया थाचेन्नई में सबसे पहले मेट्रो का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने जून 2015 में किया था।
चेन्नई मेट्रो परियोजना फेज-1 के तहत कुल 45 किलोमीटर तक मेट्रो लाइन बिछाई गई है. चेन्नई में सबसे पहले मेट्रो का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने जून 2015 में किया था. कोयाम्बेडू से अलांदुर (10.15किमी) के बीच चलने वाली पहली मेट्रो थी. साल 2016 के आखिरी तक खत्म हुए फेज-1 में कुल 14,000 करोड़ रुपये का खर्चा आया है।
भारत सरकार ने चेन्नई मेट्रो परियोजना के लिए 28 जनवरी 2009 में अपनी स्वीकृति दे दी थी, जबकि निर्माण कार्य की शुरुआत साल 2011 में हुई थी. साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, चेन्नई मेट्रो से रोजाना करीब 7,56,466 लोग सफर करते हैं और 2026 तक 10,64,048 लोगों का सफर करने का अनुमान है। 19 जुलाई, 2017 की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई में मेट्रो रेल सेवा के दूसरे चरण को नीति स्तरीय मंजूरी दे दी गई है, जिस पर करीब 88,897 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
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मुंबई में मेट्रो की शुरुआत मुंबई की लोकल ट्रेन की भीड़ को कम करने के लिए हुई थी। मुंबई की लोकट ट्रेन को वहां की लाइफ लाइन कहा जाता है। लोकल ट्रेन वहां आवाजाही का सबसे बड़ा और अच्छा साधन हैं। ऐसे में मुंबई में मेट्रो ने लोकल ट्रेन की भीड़ को कम करने में अहम भूमिका निभाई है। मुंबई मेट्रो की नींव जून 2006 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रखी थी। फरवरी 2008 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ। उसके बाद मुंबई में यात्रियों को लेकर सबसे पहले मेट्रो ट्रेन 8 जून 2014 को दौड़ी थी। वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर के बीच 11.40 किमी तक मेट्रो रेलवे बनाने के लिए फेज-1 के तहत कुल 4,321 करोड़ रुपये का खर्च आया। वर्सोवा से घाटकोपर तक के सफर के लिए करीब 21 मिनट का समय लगता है। इसके अलावा करीब 3.40 लाख लोग रोजाना से इस रूट पर सफर करते हैं। मुंबई मेट्रो ने अपनी सेवा की शुरुआत के पहले महीने में ही 10 लाख मुसाफिरों का आंकड़ा पार कर लिया था। उसके बाद 400 से भी कम दिनों में 10 करोड़ का आंकड़ा छू लिया था। फेज-2 (42 किमी) और फेज-3 (33.5 किमी) के लिए निर्माण कार्य जारी है. इसके लिए क्रमश: करीब 17,396 करोड़ और 23,136 करोड़ रुपये अनुमानित खर्चा आना है।
जयपुर मेट्रो
जयपुर भारत के ऐतिहासिक शहरों में से एक है। यहां देश विदेश से पर्यटक घूमने आते हैं। जयपुर घूमने आने वालों के लिए मेट्रो सबसे शानदार साधन है क्योंकि ये हर टूरिस्ट स्पॉट से जुड़ा है। फेज-1B और फेज-2 के लिए निर्माण कार्य प्रगति पर है। राजस्थान की राजधानी जयपुर की जनसंख्या 30.73 लाख है, जो कि 2031 तक 81.1 लाख होने का अनुमान है। 3 जून 2015 से जयपुर के आम लोगों को मेट्रो सेवा की सौगात मिली थी। जबकि इससे पहले निर्माण कार्य फेज-1A के तहत मानसरोवर से चांदपोल बाजार के बीच 9.63 किमी के लिए 13 नवंबर 2010 को शुरू हुआ था। फिलहाल फेज-1B और फेज-2 के लिए निर्माण कार्य प्रगति पर है। चांदपोल बाजार से बड़ी चौपरा (फेज-1B) का कार्य अगस्त 2018 तक पूरा होने का अनुमान है। फेज-1 और फेज-2 के तहत कुल 35.078 किमी रेलवे ट्रैक का निर्माण होना है, जिस पर 31 मेट्रो स्टेशन होंगे। आपको बता दें, फेज-1 के लिए कुल 3,149 करोड़ और फेज-2 के लिए 6,583 करोड़ रुपये का खर्चा आने का प्रस्ताव है।
लखनऊ मेट्रो
मुस्कुराइए कि आप लखनऊ की मेट्रो में हैं। साल 2017 में गृह मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ ने लखनऊ मेट्रो को हरी झंडी दी है। अब लखनऊ भी उन शहरों में शामिल हो गया है जहां सुबह की शुरुआत मेट्रो से होती है। लखनऊ में सबसे पहले आठ किलोमीटर के ट्रेक पर मेट्रो की शुरुआत हुई जो आम आदमी के लिए 6 सितंबर 2017 से शुरु कर दी गई है। लखनऊ मेट्रो का निर्माण कार्य 27 सितंबर 2014 को तत्कालीन यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में शुरू हुआ था। तीन साल से भी कम समय में 6 सितंबर 2017 से लखनऊ वासियों के लिए मेट्रो की शुरुआत हो गई। पहले चरण के ए भाग में मेट्रो ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग तक 8.5 किमी तक चलाया गय है। इन दोनों स्टेशनों के बीच कुल 8 स्टेशन और 5 ट्रेनें है।
लखनऊ मेट्रो परियोजना के पहले चरण के ए भाग के लिए कुल 6,880 करोड़ रुपये का खर्च आया था। आपको बता दें, लखनऊ नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर (एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया) पर करीब 23 किमी रेलवे लाइन पर निर्माण कार्य जारी है।
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