सूर्य की भौगोलिक स्थिति में बदलाव के समय को मकर सक्रांति के रूप में मनाया जाता है। क्यूंकि इसी समय सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास/महीना होता है। वैसे तो सूर्य की 12 संक्रांति/राशी हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति/राशी को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है जिनमें मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति हैं। मकर संक्रांति/Makar Skranti का त्योहार, सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। इस पर्व की विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों पर नहीं, बल्कि पिछले 72 सालों से 14 जनवरी को ही मनाया जाता था, जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है। कभी-कभी यह एक दिन पहले या बाद में यानि 13 या 15 जनवरी को भी मनाया जाता है, लेकिन ऐसा बहुत कम ही होता है। मकर संक्रांति/Makar Skranti का संबंध सीधा पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है। जब भी सूर्य मकर रेखा/Tropic of Capricorn पर आता है, वह दिन 14 जनवरी ही होता था। 2020 में मकर सक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को पड़ता है,और अगले 72 सालों तक ये 15 जनवरी को ही आएगा। यह त्यौहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शामिल है। मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान और दान-पुण्य के शुभ समय का विशेष महत्व माना गया है।
जाने : लोहड़ी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्म-मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का काल भी कहा जाता है, इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा जाता है। इस काल में देव-प्रतिष्ठा, गृह-निर्माण, यज्ञ-कर्म आदि पुनीत कर्म किए जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं। इस दिन लोग आपस में रेवड़ी, गज्जक, मूंगफली बच्चों को बांटते हैं।
इन सभी धार्मिक मान्यताओं के अलावा मकर संक्रांति/Makar Skranti का त्यौहार एक और उत्साह से भी जुड़ा है। मकर सक्रांति के दिन या इसके आस-पास पतंग उड़ाने का भी एक महोत्सव मनाया हजाता है। इस दिन भारतवर्ष में कई स्थानों पर पतंगबाजी के बड़े-बड़े आयोजन भी किए जाते हैं। लोग बड़े ही आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं।
Makar Skranti Kya Hai?
हमारा देश विविधता भरा है जिसके कारण हर प्रांत में इसका नाम और मनाने का तरीका अलग-अलग होता है।भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रांति/Makar Skranti के त्यौहार को भिन्न-भिन्न प्रकार से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है और इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है। असम में बिहू के रूप में इस त्यौहार को बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है।
भिन्न-भिन्न समुदायों की भिन्न-भिन्न मान्यताओं के अनुसार इस त्यौहार के पकवान भी भिन्न-भिन्न होते हैं। बहुत से क्षेत्रों में दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान बन चुकी है। इस दिन विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का बड़ा महत्व है। इसके अतिरिक्त तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व माना गया है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन कर स्नान किया जाता है। इसके अलावा तिल और गुड़ के लड्डू, रेवड़ी, गज्जक एवं अन्य व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इस समय सुहागन महिलाएं आपस में सुहाग की सामग्री का आदान प्रदान भी करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है।
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