ATM/एटीएम मशीन क्या होती है?
ATM/Automated Teller Machine यानि एटीएम वो मशीन होती है जिसके द्वारा हम अपने बैंक अकाउंट से किसी ATM कार्ड के माध्यम से नगद पैसे निकाल सकते हैं। आपने देखा भी होगा की पहले शहरों में ही आपको ये देखने को मिलते थे लेकिन अब गॉंव में भी आजकल ATM देखने को मिल जाते हैं। शहरों में जगह-जगह आपको विभिन्न बैंकों के ATM लगे दिखाई दे जायेंगे। इनका कारण यही है की इंडिया Digital और Cashless होता जा रहा है। एटीएम की सबसे बड़ी सुविधा यही है की आप इनमे से किसी भी वक़्त नगद पैसे प्राप्त कर सकते हैं। हमारे देश के आम शहरों में एटीएम की सुविधा पीछे बिस सालों से ही ज्यादा हुई है, वैसे भारत में पहली एटीएम मशीन अँधेरी ईस्ट मुंबई में साल 1987 में एचएसबीसी/HSBC द्वारा लगाई गई थी। इस मशीन का प्रयोग तब ऑफलाइन तरीके से ही होता था, साथ ही इसमें आज के जैसे आधुनिक सुविधा भी मौजूद नहीं थी।
ATM/एटीएम मशीन का आविष्कार कब हुआ था?
ATM/एटीएम तक़रीबन पिछले 50 सालों से अपनी सर्विस देते आ रहे हैं। ATM/एटीएम का आविष्कार जॉन शेफर्ड-बैरन/John Shepherd-Barron और उनकी टीम ने साल 1967 में किया था, तब यह मशीन आज की तरह प्लास्टिक से बने ATM कार्ड का उपयोग नहीं करती थी, साथ ही आज हम जिस ATM पिन तकनीक का इस्तेमाल हम करते हैं वो भी तब उस मशीन में इस्तेमाल नहीं की जाती थी, ATM PIN तकनीक का अविष्कार इंटरनेट आ जाने के बाद से हुआ है। ATM आविष्कार के शुरुआती दिनों 1967 में इंटरनेट का ही आविष्कार नहीं हो पाया था। तब ATM से पैसे निकालने के लिए इसमें आपको बैंक द्वारा प्रदत्त चैक/Check डालना पड़ता था, यह मशीन एक हल्के रेडियोधर्मी पदार्थ कार्बन-14 लगे चेक को पढ़ने में सक्षम थी, जिसे एक पिन/PIN से जांच और मिलान होने के बाद बैंक के ग्राहक को पैसे दिये जाते थे।
इसके आविष्कार के पीछे भी एक कहानी है, एक बार जॉन शेफर्ड-बैरन जरुरत पड़ने पर बैंक से पैसे निकलवाने के लिए वो बैंक गए, जैसे ही वो बैंक पहुंचे उससे एक मिनट पहले ही बैंक बंद हो चूका था, तो वो पैसे नहीं ले पाए, तभी उनको चॉकलेट वेंडिंग मशीन को देखकर एक आईडिया आया कि अगर हम किसी मशीन से चॉकलेट निकाल सकते हैं तो पैसे क्यों नहीं निकाल सकते?
एटीएम मशीन के दूसरे अविष्कारक के बारे में भी हम पढ़ेंगे, जेम्स गुडफेलो/James Gudfellow जिन्होंने साल 1966 में ही ATM मशीन बना ली थी लेकिन उससे पहले दूसरी मशीन को जनता के लिए सार्वजनिक प्रयोग के लिए सबसे पहले John Shepherd-Barron ने शुरू किया।
James Gudfellow की ATM कार्ड मशीन इस प्रकार की पहली एटीएम मशीन थी जो स्कॉटिश आविष्कारक जेम्स गुडफेलो ने सबसे पहले मई 1966 में बनाकर पेटेंट/Patent करवाई थी। उस वक़्त James Gudfellow ग्लासगो/Glasgow की एक कंपनी केल्विन ह्यूजेस/Calvin Hughes के लिए इंजीनियर के रूप में काम करते थे। उनके द्वारा आविष्कार की गईं ATM CARD रीड कर सकने वाली पहली Chubb-Branded थी। यह मशीन साल 1967 में वेस्टमिंस्टर बैंक/नैटवेस्ट में लगाई गईं। Gudfellow द्वारा लगाई गयी एटीएम मशीन, John Shepherd-Barron की एटीएम मशीन के चालू होने के एक महीने बाद काम करना शुरू कर पाई थी। इसलिए सबसे पहले ATM मशीन बनाने और आम जनता के लिए यह सेवा शुरू करने का सारा श्रेय/Credit John Shepherd-Barron को ही दिया जाता है। James Gudfellow को UK/यूके पेटेंट नंबर 1,197,183 और प्राथमिकता/Report तिथि 2 मई 1966 के द्वारा अपने आविष्कार के लिए पेटेंट दिया गया था। James Gudfellow द्वारा डिज़ाइन किया गया ATM कार्ड आजकल के क्रेडिट कार्ड के आकार का ही था, जिसमें केवल 30 बाइट/Byte डेटा होता था। उनकी या ATM/एटीएम मशीन पिन और कीपैड के साथ एन्क्रिप्टेड/Encrypted कार्ड को पढ़ सकने में सक्षम थी।
Gudfellow ने जिस ATM CARD और पिन/PIN तकनीक की खोज की थी, उससे लाखों लोगों के लिए लाइसेंस दिया गया था। पूरी दुनिया में 70 के दशक में बैंकों में एटीएम मशीन लगाने की होड़ सी लग गयी थी, क्यूंकि तब ये एक क्रांतकारी तकनीक थी जो आज बहुत ही ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है आम जनता के लिए। इस नयी तकनीक के Patent का फायदा स्मिथस इंडस्ट्रीज लिमिटेड/Smith Industries ltd. को तो बहुत हुआ लेकिन Gudfellow को व्यक्तिगत रूप से कोई फायदा नहीं हो पाया। बाद में Gudfellow इस कंपनी को छोड़कर IBM/International Business Machine के लिए काम करने लगे थे, क्यूंकि उनके अनुसार इस एटीएम मशीन की खोज से उन्हे सिर्फ दस पाउंड/£10 ही मिले।
उपलब्धि : बैंकिंग सेवाओं में दिये गए अपने योगदान के लिए Gudfellow को साल 2006 में PIN/व्यक्तिगत पहचान संख्या के पेटेंट के रूप में इंग्लैंड की महारानी से OBE/Officer of the Order of the British Empire का पद दिया गया।
विश्व की पहली ATM/एटीएम मशीन कब और कहाँ लगी थी?
विश्व की पहली एटीएम मशीन इंग्लैंड के उत्तरी लंदन के एनफील्ड में बार्कलेज़/Brackledge बैंक की एक ब्रांच में लगी थी जिसका उद्घाटन 27 जून 1967 को किया गया था। इस मशीन से पहली बार कॉमेडी अभिनेता रेग वर्नी/Reg Varni ने पैसा निकाला था। यह मशीन जॉन शेफर्ड-बैरोन और उनकी टीम द्वारा डिज़ाइन की गयी थी। लेकिन तब इस मशीन में एटीएम कार्ड और पिन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। विश्व के पहले एटीएम मशीन से तब अधिकतम कैश £10 तक ही निकाला जा सकता था। यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि 1960 और 1970 के दशक में इंटरनेट/Internet और नेटवर्किंग/Networking की सुविधा नहीं थी, ATM का सारा काम ऑफलाइन तरिके से ही होता था।
कोन थे जॉन शेफर्ड-बैरन/John Shepherd-Barron?
जॉन शेफर्ड-बैरन का जन्म तो भारत में हुआ था, उनके स्कॉटिश माता-पिता भारत में ही रहते थे, उनक जन्म 23 जून 1925 को मेघालय के शिलांग में हुआ रहा। उनके जन्म के बाद वो लोग रॉस-शायर/Ros SHAYER "स्कॉटलैंड में एक जगह" के पोर्टमहोमैक/Portamhomec में रहने लगे थे। John Shepherd-Barron बैंक नॉट बनाने वाली कंपनी डे ला रु/De La Ru के लिए काम करते थे। उस दौरान बैंक सक्रिय रूप से Teller प्रक्रिया को Automatic/स्वचालित करने की तकनीक और उपायों के बारे में सोच रहे थे। उसी समय में जॉन शेफर्ड-बैरोन ने सबसे पहले इस तकनीक की सार्वजनिक रूप से शुरुआत की थी। किसी भी प्रकार की धोकाधड़ी से बचने के लिए डे ला रु/De La Ru कंपनी ने अपनी इस तकनीक को पेटेंट नहीं करवाया था। ATM का अविष्कार करने वाले John Shepherd का निधन 2010 में हुआ था।
उपलब्धि : साल 2005 में, John Shepherd-Barron को Automatic Cash Dispenser के आविष्कारक के रूप में बैंकिंग सेवाओं के लिए इंग्लैंड/England की महारानी द्वारा OBE/Officer of the Order of the British Empire के सम्मान ने नवाजा गया था।
वर्तमान में समूचे विश्व में लगभग 35 लाख से ज्यादा ATM मौजूद हैं और इनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
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