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सबसे पहले जान लेते है की शिक्षा क्या है ? Education
अगर देखा जाये तो शिक्षा का कोई एक निश्चित रूप नहीं है, इसके अनेकों रूप हैं, शिक्षा वो साधन है जो हमारे ज्ञान, कुशलता, आत्मविश्वास और व्यक्तित्व में सुधार करती है। यह हमारे जीवन में दूसरों से बात करने की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाती है। शिक्षा परिपक्वता लाती है और समाज के बदलते परिवेश में रहना सिखाती है। यह सामाजिक विकास, आर्थिक वृद्धि और तकनीकी उन्नति का रास्ता हमारे लिए पैदा करती है। शिक्षा अपने चारों ओर की चीजों को सीखने की एक प्रक्रिया है। यह हमें किसी भी वस्तु या परिस्थिति को आसानी से समझने, किसी भी तरह की समस्या से निपटने और पूरे जीवनभर विभिन्न आयामों में सन्तुलन बनाए रखने में मदद करती है। शिक्षा सभी मनुष्यों का सबसे पहला और सबसे आवश्यक अधिकार है। बिना शिक्षा के हम अधूरे हैं, और हमारा जीवन बेकार है। शिक्षा हमें अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
शिक्षा का महत्त्व क्या है ? Importance of Education
शिक्षा का महत्त्व वही व्यक्ति समझ सकता है जो अपने आप में कहीं न कहीं शिक्षा से जुड़ा हुआ है। वास्तव में ज्ञान का अर्थ ही शिक्षा या अनुभव है इनके माध्यम से तथ्य, सूचना और कौशल प्राप्त करना शिक्षा के महत्व का प्रतिपादन है। ज्ञान किसी विषय के सैद्धांतिक या व्यावहारिक समझ का गठन करता है। मानव समाज के वंशज, जीव व् अन्य जानवरों से केवल ज्ञान और उपयोग के कारण अलग हैं। ज्ञान केवल शिक्षा के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। यह बिना कहे ही जाना जा सकता है कि समानता बनाने तथा आर्थिक स्थिति के आधार पर बाधाओं तथा भेदभाव को दूर करने के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है। राष्ट्र की प्रगति और विकास सभी नागरिकों की शिक्षा के अधिकार की उपलब्धता पर निर्भर करता है। निरक्षरता किसी भी समाज के लिए अभिशाप है। शिक्षा सभी बुराई को दूर करने में मदद करती है और इस प्रकार पूरी दुनिया में सरकारी केंद्रों में स्थापित करने के माध्यम से वयस्कों को बुनियादी शिक्षा देकर इस बुराई को दूर करने की कोशिश की जा रही है। शिक्षा का कार्य गहराई से और गंभीर रूप से सोचना सिखाना है। बुद्धिमत्ता के साथ चरित्र, यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है। व्यक्तिगत स्तर पर अगर शिक्षा की बात की जाये तो, शिक्षा हमारी परिपक्वता और व्यक्तित्व के एकीकरण में मदद करती है, जिससे हमारे व्यवहार को कुशल अच्छे-बुरे की समझ, सामाजिक ज्ञान, मन-मर्यादा को जानने समझने में मदद मिलती है। वास्तव में, यह कहा गया है कि “जीवन की कीमत को इस प्रकार मापा जा सकता कि कितनी बार आपकी आत्मा ने आपको अंदर से झझकोरा है।” यह शिक्षा ही है जो किसी के जीवन में हलचल मचा सकती है। एक सभ्य समाज की स्थापना शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।" शिक्षा के माध्यम से लोकतंत्र का संवर्धन होगा, जो बदले में पूरे देश का सामंजस्यपूर्ण विकास करने में मददगार रहेगा। शिक्षा के बेहतर स्तर से ही विश्व में सम्पूर्ण शांति पैदा करनी की समझ आएगी।
हमारे देश में महिला शिक्षा। Women Education
हमारा देश शिक्षा के मामले में बहुत देशों की तुलना में काफी बेहतर है यहां आज के दिन महिला और पुरुष दोनों को समान शिक्षा का अधिकार है। सत्य ही कहा है कि जब आप “एक महिला को शिक्षा देकर शिक्षित करते हैं तो आप एक पूर्ण परिवार को शिक्षित करते हैं यानि वो महिला अपने पुरे परिवार को शिक्षित करने का कौशल रखती है।” समाज में जहाँ महिलाओं को बिसवीं सदी के अंत तक कहीं न कहीं शिक्षा से वंचित रखा जाता था, वहीं अब महिलाओं को शिक्षित करने के लिए विशेष अभियान और योजनाएं आयोजित की जा रही हैं, उन्हें आगे लाने के लिए और समाज के समग्र विकास की सुविधा प्रदान की जा रही हैं। यहाँ तक की उनकी पढाई को सरकार ने बहुत हद तक मुफ्त भी कर दिया है साथ ही उनको अनुदान और आरक्षण भी देने की बहुत सी योजनाएं भी चलाई हैं।
वहीँ एक और कुछ देशो में अभी भी महिला शिक्षा को वो आज़ादी नहीं मिल पायी जिसकी वो हक़दार हैं, एक पाकिस्तानी स्कूल छात्रा "मलाला यूसुफजई/ Malala Yusufjai" को शिक्षा के अधिकार के लिए तालिबान से धमकी मिली थी। तालिबान में उसके सिर पर गोली मार दी गई थी लेकिन इसके बाद भी जीवित रही और तब से वह मानव अधिकार, महिलाओं के अधिकार और शिक्षा के अधिकार के लिए पुरे संसार की पक्षधर बन गई है।
आधुनिक भारत में शिक्षा। Indian Modern Education
प्राचीन कल में भारत में शिक्षा का स्तर वो नहीं था जो आज है, क्यूंकि उस वक़्त भारत में भी महिलाओं को शिक्षा का सम्पूर्ण अधिकार नहीं था। हालांकि, शूद्र जाति भी शिक्षा से वंचित रही, जो समाज में सबसे नीची मानी जाती थी/है। अति प्राचीन काल से, भारत समाज के पूर्ण विकास के लिए शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक तो रहा है, परन्तु इसमें महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता था। वैदिक युग से, गुरुकुल में पीढ़ी दर पीढ़ी से शिक्षा प्रदान की जा रही है। यह शिक्षा केवल वैदिक मंत्रों का एकमात्र ज्ञान नहीं था बल्कि छात्रों को एक पूर्ण व्यक्ति बनाने के लिए आवश्यक व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाता था। इस तरह क्षत्रियों ने युद्ध की कला सीख ली, ब्राह्मणों ने ज्ञान देने की कला सीख ली, वैश्य जाति वाणिज्य और अन्य विशिष्ट व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को सीखकर आगे बढ़ गयी। अगर देखा जाये तो हमारे देश में प्राचीन काल से बहुत बड़े-बड़े विश्विधालय रहे हैं जो आज भी विध्यमान हैं। हाँ उस वक़्त शिक्षा में कुछ कमियां थी, जिनको आज के समाज के हिसाब से कुछ परिवर्तित करने की आवश्यकता थी। (शिक्षा की इस कमी को ठीक करने के लिए और पूरे समाज के समावेशी विकास को ध्यान में रखते हुए, आरक्षण योजना चलाई गई थी जिसमें नीची जातियों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है, साथ ही स्कूलों, विश्वविधालयों और नौकरियों में सीटों के आरक्षण के साथ 1950 के प्रारंभ और बाद में भारत के संविधान में उसको स्थान दिया गया है।)
- आधुनिक भारत में, शिक्षा का सभी के लिए समान अवसर के माध्यम से समाज के समग्र विकास की आवश्यकता को पहचानने के लिए, सरकार ने 6 और 14 वर्ष के बीच की आयु वर्ग वाले सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की सुविधा के लिए भारतीय संविधान में विभिन्न लेख शामिल किए हैं।
- एक अन्य महत्वपूर्ण पहल में, सरकार ने लड़कियों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता और मुफ्त शिक्षा की भी घोषणा की है। इस योजना से एकल परिवार की सभी लड़कियों को विद्यालय में उच्च स्तर पर मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रोत्साहित किया गया है।
- भारत सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल भेजे जाने के लिए बहुत सी योजना चलाई हैं। भारत सरकार द्वारा मध्यान्ह भोजन योजना में पौष्टिक भोजन प्रदान करके बच्चों को प्रोत्साहित किया गया है।
- इस योजना के तहत, सरकारी सहायता प्राप्त स्थानीय निकाय, शिक्षा गारंटी योजना और वैकल्पिक अभिनव शिक्षा केन्द्र, मदरसा और स्कूलों या प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को निःशुल्क भोजन श्रम मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है। इस योजना ने सरकारी स्कूलों में नामांकन, उपस्थिति और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की अवधारण को बढ़ाने में मदद की है।
- पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी शिक्षा के उचित लाभ प्राप्त नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनके पास धन और अन्य साधनों की कमी है। यद्यपि, इन क्षेत्रों में इस समस्या को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा कुछ नई और प्रभावी रणनीतियों की योजना बनाकर लागू किया गया है।
- पिछड़े वर्गों को आरक्षण नीति के माध्यम से प्रोत्साहित किया गया है, गरीबों और अमीरों के बीच असमानताओं को दूर करने के लिए सरकार द्वारा सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। शिक्षा ने मानसिक स्थिति को सुधारा है और लोगों के सोचने के तरीके को बदला है। यह आगे बढ़ने और सफलता और अनुभव प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास लाती है और सोच को कार्य रुप में बदलती है।
बात अगर उच्च शिक्षा की कि जाये तो उच्च शिक्षा प्रासंगिकता(व्यावसायिक प्रशिक्षण) की शिक्षा होनी चाहिए। वर्तमान युग में, असंख्य स्नातक डिग्री धारक हैं जो बेरोजगार रहते हैं। यदि व्यावसायिक प्रशिक्षण को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के बाद प्राप्त उच्च शिक्षा या अपनी पसंद के कैरियर का विकल्प चुनने वाले छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाए तो बेरोजगारी के खतरे को कम किया जा सकता है। आज भारत में शिक्षा में अकल्पनीय सुधार हुआ है और अनवरत होता ही जा रहा है जो हमारे लिए और समाज के लिए अत्यन सुनहरा भविष्य लेकर आएगा।
निष्कर्ष
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