कंप्यूटर सम्पूर्ण जानकारी और इतिहास
कम्प्यूटर का जनक “चार्ल्स बैबेज” को माना गया है. इन्होने सन 1833 में Analytical Engine का आविष्कार किया था, जो आधुनिक कम्प्यूटर का आधार बना। इसी कारण उन्हे Father of Computer की उपाधी दी गई।
कम्प्यूटर का इतिहास – History of Computer
आधुनिक कम्प्यूटर इतिहास की देन हैं। जिसकी शुरुआत ईसा पूर्व ही हो चुकी थी। जब चीनियों ने अबेकस/ABACUS का आविष्कार किया। इसके बाद विभिन्न प्रकार के स्वचालित/AUTOMATED मशीने अस्तित्व में आई,और चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया गया स्वाचालित इंजन आज के कम्प्यूटर का आधार बना। कम्प्यूटर का इतिहास कुछ इसी तरह के उतार-चढावों से भरा हुआ है, जिसके बारे में संक्षेप में नीचे बताया गया हैं।
ABACUS दुनिया का पहला गणना यंत्र था जिसके द्वारा सामान्य गणना (जोडना, घटाना) की जा सकती थी। अबेकस का आविष्कार लगभग 2500 वर्ष पूर्व (इसका सही-सही समय ज्ञात नहीं हैं) चीनीयों द्वारा किया गया। यह यंत्र 17वीं शताब्दी तक गनना करने का एक मात्र उपकरण बना रहा। 1017 में John Napier ने अपनी किताब “Rabdology” में अपने गणितीय उपकरण का जिक्र किया। जिसका नाम “Napier’s Bones” था। इस डिवाइस का उपयोग उत्पादों की गणना तथा भागफल ज्ञात करने के लिए किया जाता था। इस डिवाइस में गणना करने के लिए इस्तेमाल होने वाली विधि को ‘रेब्दोलॉजी’ कहा जाता था। इस डिवाइस द्वारा जोडना, घटाना, गुणा, भाग भी किये जा सकते थे। John Napier के आविष्कार के कुछ साल बाद (1620 के आसपास) ही माननीय William Oughtred ने “Slide Rule” का आविष्कार कर लिया। इसके द्वारा गुणा, भाग, वर्गमूल, त्रिकोणमीतिय जैसी गणनाएं की जा सकती थी. मगर जोड तथा घटाव के लिए कम इस्तेमाल किया हुआ। 1642 में माथ 18 वर्ष की अल्पायु में फ्रेंच वैज्ञानिक और दार्शनिक ने पहला व्यवहरिक यांत्रिक कैलकुलेटर बनाया। इस कैलकुलेटर का नाम “पास्कालिन” था, जिसके द्वारा गणना की जा सकति थी। फिर 1671 में पास्कालिन में सुधार करते हुए एक एडवांस मशीन ‘Step Reckoner’ का आविष्कार हुआ, जो जोडने, घटाने के अलावा गुणा, भाग, वर्गमूल भी कर सकती थी। Gottfried Wilhelm Leibniz द्वारा विकसित इस मशीन में भंडारण क्षमता भी थी। Binary System भी इन्ही के द्वारा विकसित किया गया, जिसे एक अंग्रेज ‘George Boole’ ने आधार बनाकर 1845 में एक नई गणितीय शाखा “Boolean Algebra” का आविष्कार किया। आधुनिक कम्प्यूटर डाटा संसाधित करने और तार्किक कार्यों के लिए इसी बाइनरी सिस्टम और बुलीन अल्जेब्रा पर ही निर्भर रहते हैं। 1804 में फ्रेंच के एक बुनकर ‘Joseph-Marie-Jacquard’ ने एक हथकरघा बनाया. जिसका नाम ‘Jacquard Loom’ था। इसे पहला ‘सूचना-संसाधित’ डिवाइस माना जाता हैं, और इस डिवाइस के आविष्कार ने साबित कर दिया कि मशीनों को मशीनि कोड द्वारा संचालित किया जा सकता था। 1820 में फ्रांस के ‘Thomas de Colmar’ ने “Arithmometer” नामक एक नई गणना मशीन बनाई जिसके द्वारा गणित के चार बुनियादी कार्य जोडना, घटाना, गुणा, भाग किये जा सकते थे। मगर द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इस मशीन का विकास रुक गया था।
आधुनिक कम्प्यूटर के पितामह माननीय ‘Charles Babbage’ ने 1822 में “बहुपदीय फलन” का सारणीकरण करने के लिए एक स्वचालित यांत्रिक कैलकुलेटर का आविष्कार किया। इस कैलकुलेटर का नाम “Difference Engine” था जो भाप द्वारा चलती थी और इसका आकार बहुत विशाल था। इसमे प्रोग्राम को स्टोर करने, गणना करने तथा मुद्रित करने की क्षमता थी। इस इंजन के लगभग एक दशक बाद 1833 में “Analytical Engine” डिजाइन किया। इस इंजन को ही आधुनिक कम्प्यूटर का शुरुआती प्रारुप माना जाता हैं। इसलिए ही “चार्ल्स बैबेज” को कम्प्यूटर का जनक कहा जाता हैं। इस मशीन मे वे सभी चीजे थी जो मॉडर्न कम्प्यूटर में होती है। Analytical Engine में Mill (CPU), Store (Memory), Reader and Printer (Input/Output) का काम कर रहे थे। अब आधुनिक कम्प्यूटर की नींव रखी जा चुकी थी। इसके बाद कम्प्यूटर ने तेजी से विकास किया,और नई-नई तकनीकों का आविष्कार किया गया, जिसके कारण कम्प्यूटर विशाल कमरे से बाहर निकलकर हमारे हाथ में समा गया। इस विकास क्रम को पीढीयों में बांटा गया है, जिसका विवरण हम निचे दे रहे हैं।
कम्प्यूटर की पीढीयाँ – Computer Generations in Hindi
पीढी का नाम समय विशेषताएँ लोकप्रिय कम्प्यूटर के साथ
प्रथम पीढी 1940 – 1956 Vacuum Tube पर निर्भर Punch Cards, Paper Tap, Magnetic Tap का इनपुट एवं आउटपुट डिवाइस के रूप में प्रयोग निर्देश के लिए मशीनी भाषा का प्रयोग Magnetic Drums का उपयोग मेमोरी के लिए किया गया बडा आकार और वजनी महंगे और विश्वसनीय नहीं आम लोगों की पहुँच से दूर ENIAC – Electronic Discrete Variable Automatic Computer EDVAC – Electronic Delay Storage Automatic CalculatorUNIVAC – Universal Automatic ComputerIBM-701IBM-650
द्वितीय पीढी 1956 – 1963 Transistor पर आधारित मेमोरी के लिए Magnetic Core (Primary Memory) एवं Magnetic Tap (Secondary Memory) का उपयोग निर्देशों के लिए Assembly Language पर निर्भर High-Level (FORTON, COBOL) मशीनी भाषाओं का विकास परिणाम प्रदर्शित करने के लिए अभी भी Punch Cards और Printouts पर निर्भरता कार्य-विशेष के लिए उपयोग Honeywell 400IBM 7090CDC 1604UNIVAC 1108MARK III
तृतीय पीढी 1964 – 1971 Integrated Circuit पर आधारित आकार छोटा और भरोसेमंद निर्देशों के लिए BASIC, COBOL, PASCAL जैसी है हाइ-लेवल मशीनी भाषा का प्रयोग पाँच कार्ड की जगह पर माउस और कीबोर्ड का उपयोग तथा आउटपुट के लिए मॉनिटर का इस्तेमाल मल्टि-प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम सामान्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल PDP-8PDP-11ICL 2900Honeywell 6000 SeriesTDC-B16IBM-360IMB-370NCR-395
चौथी पीढी 1971 – वर्तमान VLSI – Very Large Scale Integrated Circuit तकनीक पर निर्भर माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल GUI – Graphical User Interface तकनीक पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास और उपयोग MS-DOS, MS-Windows, Mac जैसे GUI पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम का तेजी से विकास हुआ और माइक्रोकम्प्यूटर की क्रांति हुई अधिक तेज, ज्यादा भरोसेमंद आकार में छोटे और हल्के आम आदमी की पहुँच में इंटरनेट का इस्तेमाल C, C++ प्रोग्रामिंग भाषाओं का इस्तेमाल कम खर्चीले IBM 4341DEC 10STAR 1000PUP 11PCsMacintosh
पांचवी पीढी वर्तमान से भविष्य ULSI – Ultra Large-Scale Integrated Circuit तथा AI – Artificial Intelligence तकनीक पर आधारित छोटे, हल्के, इस्तेमाल में आसान सस्ते और विश्वसनीय तथा आम इंसान तक सीधी पहुँच कृत्रिम बुद्धि तथा इंटरनेट ओर थिंग्स तकनीक का विकास टचस्क्रीन, वॉइस कंट्रोल का इस्तेमाल C, C++, Java, .net, ASP भाषाओं का उपयोग Desktop PCsMac BooksLaptopsUltra BooksiPhonesiWatchSmartphonesWearable Devices
कम्प्यूटर क्या है – What is Computer
कंप्यूटर को शब्दों में बांधना एक बड़े सागर को अपनी बाँहों में समाने के समान है। Computer शब्द अपने आप में बड़ा ही विस्तृत है, क्यूंकि एक अकेला कंप्यूटर बहुत से काम कर सकने में समर्थ है। ऐसा इसलिए है कि हर इंसान Computer का उपयोग अलग-अलग कार्यों के लिए करता है। कम्प्यूटर के बारे में एक आम धारणा भी प्रचलित है कि Computer एक अंग्रेजी शब्द है। Computer का हिंदी में मतलब Computer Meaning in Hindi “संगणक” होता है। इसका मतलब कम्प्यूटर एक गणकयंत्र/Calculator है। लेकिन, कम्प्यूटर को एक जोडने वाली मशीन कहना गलत होगा। क्योंकि कम्प्यूटर जोडने के अलावा सैकडों अलग-अलग कार्य करता है। अगर आप एक लेखक/टाइपिस्ट से पूछोगे कि कम्प्यूटर क्या है? तो वह शायद कहे की कम्प्युटर एक टाइप मशीन हैं। इसी तरह हम एक गेम खेलने वाले बालक से पूछे तो वह शायद कहे कि कम्प्यूटर तो एक गेम मशीन है। कम्प्यूटर ऑपरेटर से पूछोगे तो वह इसे ऑफिस का काम निपटाने वाली मशीन के संदर्भ में परिभाषित करने की कोशिश करेगा। इसलिए हम कह सकते है कि Computer को किसी एक अर्थ में नही बांधा जा सकता है। कम्प्यूटर का मतलब उसके उपयोग के आधार पर हर व्यक्ति के लिए अलग है। कम्प्यूटर के इतने अर्थ होने के बावजूद हमने आपके लिए कम्प्यूटर को परिभाषित करने कि एक कोशिश की है। इस कम्प्यूटर की परीभाषा को आप कम्प्यूटर की एक प्रमाणित परिभाषा नही मान सकते है। क्योंकि कार्य के आधार पर कम्प्यूटर के अर्थ भी बदल जाते है।
कम्प्यूटर की परिभाषा – Computer Definition in Hindi
COMPUTER एक मशीन है, जो कुछ तय निर्देशों के अनुसार कार्य को संपादित करते है। और ज्यादा कहे तो Computer एक इलेक्ट्रोनिक उपकरण है जो इनपुट उपकरणों की मदद से आँकडों/Data को स्वीकार करता है उन्हें प्रोसेस करता है, और उन आँकडों को आउटपुट उपकरणों की मदद से सूचना के रूप में प्रदान करता है। इस परिभाषा के स्पष्ट है कि कम्प्यूटर युजर द्वारा पहले कुछ निर्देश लेता है जो विभिन्न इनपुट डिवाइसों की मदद से प्रविष्ट कराए जाते है। फिर उन निर्देशों को प्रोसेस किया जाता है, और आखिर में निर्देशों के आधार पर परिणाम देता है जिसे आउटपुट डिवाइसों की मदद से प्रदर्शित करता है। निर्देशों में कई प्रकार का डेटा शामिल होता है। जैसे; संख्या, वर्णमाला, आंकड़े आदि. इस डेटा के अनुसार ही कम्प्यूटर परिणाम बनाता है। यदि कम्प्यूटर को गलत आंकड़े दिए जाते है तो कम्प्यूटर भी गलत ही परिणाम देता है। मतलब साफ है कि कम्प्यूटर GIGO – Garbage in Garbage Out के नियम पर काम करता है।
कम्प्यूटर का पूरा नाम क्या है – Computer Full Form in Hindi
कम्प्यूटर बहु-उपयोगी मशीन होने के कारण आज तक भी इसको एक परिभाषा में नही बाँध पाँए है। इसी कड़ी में कम्प्यूटर का पूरा नाम भी चर्चित रहता है। जिसकी अलग लोगों और संस्थाओं ने अपने अनुभव के आधार पर भिन्न-भिन्न व्याख्या की है। लेकिन, इनमे से कोई भी Standard Full Form नही है। हमने आपके लिए एक कम्प्यूटर की फुल फॉर्म नीचे बताई है। जो काफी लोकप्रिय और अर्थपूर्ण है।
C – Commonly
O – Operating
M – Machine
P – Particularly
U – Used in
T – Technology
E – Education and
R – Research
अर्थात Commonly Operating Machine Particularly Used in Technology Education and Research.
कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकार
कम्प्यूटर के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं. इनके बारे में आप अधिक जानकारी कम्प्यूटर के प्रकार Lesson से ले सकते है। अनुप्रयोग (Application), उद्देशय (Purpose), आकार (Size)
कम्प्यूटर का परिचय – Computer Introduction in Hindi
Computer अपना कार्य अकेला नही कर सकता है। Computer किसी कार्य को करने के लिए कई तरह के उपकरणों तथा प्रोग्राम की सहायता लेता है। Computer के ये उपकरण और प्रोग्राम क्रमश: ‘Hardware तथा Software ‘ के नाम से जाने जाते है। Computer के इन उपकरणों तथा प्रोग्राम के बारे में आप अगले Lessons में जान पाएंगे। एक आम Computer कुछ इस प्रकार दिखाई देता है।
कम्प्युटर के विभिन्न उपकरण - Computer Parts in Hindi
ऊपर जो Computer आप देख रहे है इसे ‘डेस्कटॉप Computer‘ कहते है। वर्तमान समय में इसी प्रकार के Computer अधिक प्रचलित है। इस फोटो में आपको कई अलग-अलग उपकरण दिख रहे होंगे ये सभी मिलकर Computer मशीन को बनाते है। आइए इन उपकरणों के बारे में संक्षिप्त में जानते है।
1. System Unit
System Unit एक बक्सा होता है जिसमें Computer को अपना कार्य करने के लिए आवश्यक यंत्र लगे होते है। सिस्टम युनिट को CPU (Central Processing Unit) भी कहा जाता है। इसमें मदरबोर्ड, प्रोसेसर, हार्ड डिस्क आदि यंत्र होते है जो Computer को कार्य करने लायक बनाते है। इसे Computer Case/Cabinet भी कहते है।
2. Monitor
Monitor एक आउटपुट उपकरण है जो हमें दिए गए निर्देशों के परिणामों को दिखाता है। यह बिल्कुल टीवी के जैसा होता है। वर्तमान में मॉनिटरो की जगह एल सी डीLCD/ एवं एल ई डी/LED, Plasma ने ले ली है।
3. Keyboard
Keyboard एक इनपुट उपकरण है, जो हमें Computer को निर्देश देने के लिए होता है. इसकी मदद से ही Computer को वांछित आंकडे एवं निर्देश दिए जाते है। इसमे विभिन्न प्रकार की कुंजिया (keys) होती है इन्ही के द्वारा आंकडे एवं निर्देश Computer तक पहुंचाए जाते है। आप यहाँ से Keyboard का उपयोग करना सीख सकते है।
4. Mouse
Mouse भी एक इनपुट उपकरण है जो Computer को निर्देश देने के लिए होता है। हम इसके द्वारा Computer में उपलब्ध प्रोग्राम को चुनते है। आप यहाँ से Mouse का उपयोग करना सीख सकते है।
5. Speakers
Speakers आउटपुट उपकरण है जो हमें Computer से आवाज को सुनने में मदद करते है। इन्ही के द्वारा हमें गानों, फिल्मों, प्रोग्रामों तथा खेलों आदि में उपलब्ध ध्वनी सुनाई देती है।
6. Printer
Printer भी एक आउटपुट उपकरण है जो Computer द्वारा विश्लेषित सूचनाओं को कागज पर प्राप्त करने के लिए होता है। कागज पर प्राप्त होने वाली सूचनाओं को ‘हार्डकॉपी/Hardcopy‘ भी कहते है। और इसके उलट जो सूचनाए Computer में ही रक्षित रहती है उन्हे ‘सॉफ्टकॉपी/Softcopy’ कहते है।
कम्प्यूटर की विशेषताएं – Characteristics of Computer in Hindi
कम्प्यूटर ने हम इंसानों द्वारा किए जाने वाले अधिकतर कामों पर कब्जा कर लिया हैं और इंसान को उसकी क्षमता से अधिक कार्य-क्षमता प्रदान की हैं। यह सब इस मशीन के खास गुणों के कारण संभव हैं। तभी हम इंसान कम्प्यूटर को अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं। कम्प्यूटर की कुछ खास विशेषताएँ निम्न हैं-
1. गति – Speed
कम्प्यूटर बहुत तेज गति से कार्य करता हैं और यह लाखों निर्देशों को केवल एक सैकण्ड में ही संसाधित कर सकता हैं। इसकी डाटा संसाधित करने की गति को माइक्रोसैकण्ड (10–6), नैनोसैकण्ड (10-9) तथा पिकोसैकण्ड (10-12) में मापा जाता हैं। आमतौर पर प्रोसेसर की एक युनिट की गति दसियों लाख निर्देश प्रति सैकण्ड यानि MIPS (Millions of Instructions Per Second) इस मशीन का निर्माण ही तीव्र गति से कार्य करने के लिए किया गया हैं।
2. शुद्धता – Accuracy
कम्प्यूटर GIGO (Garbage in Garbage Out) सिद्धांत पर कार्य करता हैं। इसके द्वारा उत्पादित परिणाम त्रुटिहीन रहते हैं। अगर किसी परिणाम में कोई त्रुटि आती हैं तो वह इंसानी हस्तक्षेप तथा प्रविष्ट निर्देशों के आधार पर होती हैं। इसके परिणामों की शुद्धता मानव परिणामों की तुलना में बहुत ज्यादा होती हैं।
3. परिश्रमी – Diligence
कम्प्यूटर एक थकान मुक्त और मेहनती मशीन हैं। यह बिना रुके, थके और बोरियत माने बगैर अपना कार्य सुचारु रूप से समान शुद्धता के साथ कर सकता हैं। यह पहले और आखिरी निर्देश को समान एकाग्रता, ध्यान, मेहनत और शुद्धता से पूरा करता हैं।
4. बहुप्रतिभा – Versatility
कम्प्यूटर एक बहु-उद्देश्य मशीन हैं। यह गणना करने के अलावा अनेक उपयोगी कार्य करने में सक्षम होता हैं। इसके द्वारा हम टाइपिंग, दस्तावेज, रिपोर्ट, ग्राफिक, विडियों, ईमेल आदि सभी जरूरी काम कर सकते हैं।
5. स्वचालित – Automation
यह एक स्वचालित मशीन भी हैं। यह बहुत सारे कार्यों को बिना इंसानी हस्तक्षेप के पूरा कर सकता हैं। स्वचालितता इसकी बहुत बडी खूबी हैं।
6. संप्रेषण – Communication
एक कम्प्यूटर मशीन अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों से भी बात-चीत कर सकता हैं। यह नेटवर्क के जरीए अपना डाटा का आदान-प्रदान एक-दूसरे को आसानी से कर सकते हैं।
7. भंडारण क्षमता – Storage Capacity
कम्प्यूटर में बहुत विशाल मेमोरी होती हैं। कम्प्यूटर मेमोरी में उत्पादित परिणाम, प्राप्त निर्देश, डाटा, सूचना अन्य सभी प्रकार के डाटा को विभिन्न रूपों में संचित किया जा सकता हैं। भंडारन क्षमता के कारण कम्प्यूटर कार्य की दोहराव से बच जाता हैं।
8. विश्वसनीय – Reliability
यह एक भरोसेमंद और विश्वसनीय मशीन हैं। इसका जीवन लंबा होता है। इसके सहायक उपकरणों को आसानी से पलटा और रख-रखाव किया जा सकता हैं।
9. प्रकृति का दोस्त – Nature Friendly
कम्प्यूटर अपना कार्य करने के लिए कागज का इस्तेमाल नहीं करता हैं। डाटा का भंडारण करने के लिए भी कागजी दस्तावेज नहीं बनाने पडते हैं। इसलिए कम्प्यूटर अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति के रक्षक होते हैं,और इससे लागत में भी कमी आती हैं।
कम्प्यूटर की सीमाएं – Limitations of Computer in Hindi
कम्प्यूटर एक मशीन हैं जिसे अपना कार्य करने के लिए हम इंसानों पर निर्भर रहना पडता हैं। जब तक इसमे निर्द्श प्रविष्ट नहीं होंगे यह कोई परिणाम उत्पादित नहीं कर सकता हैं। इसमें विवेक नहीं होता हैं, यह बुद्धिहीन मशीन हैं, इसमें सोचने-समझने की क्षमता नहीं होती हैं मगर वर्तमान समय में कृत्रिम मेधा (Artificial Intelligence) के द्वारा कम्प्यूटरों को सोचने और तर्क करने योग्य क्षमता विकसित की जा रही हैं। इसे काम करने के लिए साफ-सुथरे वातारण की जरुरत पडती हैं। क्योंकि धूल-भरी जगह पर इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती हैं। और यह कार्य करना बंद भी कर सकता हैं।
पहला कंप्यूटर ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer) था। इसका आकार लगभग 1,800 वर्ग फुट का था। हालांकि यह उन समय के दौरान बहुत उपयोगी था, यह बहुत ही कुशल नहीं था। यह लगभग 50 टन वजन था। तब से कंप्यूटर बहुत विकसित हुए हैं, लेकिन जैसे ही प्रत्येक सिक्के के दो पहलू होते हैं। तो वैसे ही कंप्यूटर सिस्टम की क्षमताएँ और सीमाएं। आइए उन्हें और अधिक स्पष्ट रूप से समझें।
Lack of common-sense
यह कंप्यूटर सिस्टम की प्रमुख लिमिटेशंस में से एक है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितना कुशल, तेज़ और भरोसेमंद कंप्यूटर सिस्टम हो सकता है लेकिन अभी तक कोई सामान्य ज्ञान नहीं है क्योंकि कोई पूर्ण-प्रमाणित एल्गोरिदम प्रोग्राम में तर्क के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है। चूंकि कंप्यूटर स्टोर प्रोग्राम के आधार पर कार्य करता है, इसलिए उन्हें सामान्य ज्ञान की कमी होती है।
Lack of Decision-making
निर्णय लेने की एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें सूचना, ज्ञान, बुद्धि, ज्ञान और न्याय करने की क्षमता शामिल है। कंप्यूटर सिस्टम में अपने फैसले लेने की क्षमता नहीं है क्योंकि उनके पास निर्णय लेने के सभी आवश्यक अधिकार नहीं हैं।
उन्हें ऐसे निर्णय लेने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है, जो पूरी तरह से प्रक्रिया उन्मुख हैं। यदि किसी कंप्यूटर को किसी विशेष निर्णय स्थिति के लिए प्रोग्राम नहीं किया गया है, तो यह ज्ञान और मूल्यांकन क्षमता की कमी के कारण निर्णय नहीं लेगा। दूसरी ओर, मनुष्यों के पास निर्णय लेने की इस महान शक्ति का अधिकार है।
कम्प्यूटर में करियर-Career Opportunities in The Computer Fields
कम्प्यूटर फील्ड बहुत वृह्द है। यहां पर कई प्रकार के स्पेशलाइज्ड क्षेत्र विकसित हो चुके है। जिन्हे उपक्षेत्रों में भी बांट दिया गया है। इसलिए, करियर के लिहाज से कम्प्यूटर क्षेत्र हरा-भरा हैबस, सही ढ़ंग से कोई खेती करने वाला होना चाहिएआपकी सुविधा के लिए कुछ लोकप्रिय (सभी नहीं) कम्प्यूटर जॉब्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हे आप कम्प्यूटर सब्जेक्ट्स तथा इससे संबंधित विषयों की पढ़ाई करके प्राप्त कर सकते है।
1 Computer Programmer
आप जिस कम्प्यूटर को चला रहे है उसके कोड जो व्यक्ति लिखता है उसे कम्प्यूटर प्रोग्रामर कहते है। यहीं व्यक्ति कम्प्यूटर में मौजूद सभी प्रकार के फंक्शंस के कोड लिखता है। और हमारे लिए कायों को आसान बनाता है। एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं का जानकार होता है और इन सभी भाषाओं में कोडिंग करने की योग्यता रखता है। लेकिन, कुछ प्रोग्रामर्स केवल किसी भाषा विशेष पर ही ज्यादा जोर देते है। और उसी भाषा में कोडिंग करते है। प्रोग्रामर ही डिजाइनर्स तथा एम्प्लोयर के सपनों को हकिकत में बदलते है। और उन्हे वास्तविकता में बदलने का कार्य करते है, और साथ में पहले से तैयार प्रोग्राम्स, सॉफ्टवेयर्स की टेस्टिंग, एरर चैंकिंग भी करते हैं।
2 Hardware Engineer
आप जानते हैं कि कम्प्यूटर अकेली मशीन है. इसे काम करने के लिए बहुत सारे अन्य पार्ट्स की जरूरत पड़ती है। इन अलग-अलग डिवाइसों को बनाने, टेस्ट करने तथा इनका नई जरुरतों के अनुसार विश्लेषण का काम हार्डवेयर इंजिनियर करता है। कम्प्यूटर सिस्टम में कौनसा पार्ट कहां लगेगा, उसका डिजाइन कैसा होना चाहिए, यूजर्स की सहुलियत का ख्याल जैसे जरूरी काम भी यहीं पेशेवर व्यक्ति करता है। सॉफ्टवेयर में बदलाव होने पर हार्डवेयर की अनुकूलता (Hardware Compatibility) जांचकर उसे अपडेट करने का काम भी हार्डवेयर इंजिनियर का होता है। आपके कम्प्यूटर में जो रैम लगी है, मदरबोर्ड लगा हुआ है, केबिनेट का डिजाइन ये सभी कार्य हार्डवेयर इंजिनियर ही संभालता है। अगर, आपका मन नई चीजों को बनाने और उनके साथ खेलना पसंद है तो आप इस करियर में हाथ आजमा सकते है।
3 Software Developer
इसकी तुलना आप कम्प्यूटर प्रोग्रामर से भी कर सकते है. लेकिन, इनके बीच एक महिन अंतर होता है. जिसे समझना जरूरी होता है. तभी आप इन दोनों करियर्स के बारे में ठीक ढंग से समझ पाएंगे। एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर मुख्य रूप से कम्प्यूटर हार्डवेयर के ऊपर चलने वाले प्रोग्राम्स को बनाता है. जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम, यूटिलिटी प्रोग्राम्स आदि। एक सॉफ्टवेयर डवलरपर आम यूजर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए कम्प्यूटर प्रोग्राम्स विकसित करता है, जैसे; एम एस ऑफिस, टेली, वाट्सएप, ब्राउजर आदि।
4 Game Developer
आपके पसंदीदा गेम को बनाने वाला ही गेम डवलपर होता है। इसके नाम से ही पता चल जाता है कि इसका काम गेम से संबंधित होता है। अब यह गेम डवलपिंग कम्प्यूटर तथा मोबाइल दोनों के लिए हो सकता है। यह गेम किसी विशेष समस्या को हल करने से लेकर सामान्य मनोरंजन गेम भी हो सकते है। वेबसाइट्स पर यूजर्स को एंगेज करने के उद्देश्य से भी वेब-आधारित गेम्स भी बनाए जाते है, जो वेब सर्वर्स पर चलते है। यूजर्स को इन्हे अपने डिवाइसों में इंस्टॉल करने की जरुरत भी नही रहती है।
5Web Developer
आप इस आर्टिकल को एक वेबसाइट पर पढ़ रहे है. जिसे वेब डवलपर नें विकसित किया है. इनका मुख्य काम वेबसाइट्स निर्माण करना होता है। साथ में एक वेबसाइट को लाइव रहने के लिए आवश्यक जरूरी तकनीकि काम जैसे होस्टिंग, सेक्युरिटी आदि भी संभालने की जिम्मेदारी वेब डवलपर की होती है। यह वेब डिजाइनरों के साथ मिलकर काम करता है। और छोटे बिजनेसेस में तो एक ही ऑफिस शेयर करते है।
6 Web Designer
एक वेब डिजाइनर का काम वेबसाइट का डिजाइन, कलर, बटन सेटिंग, थीम डिजाइन, यूजर्स के लिए आसान नेविगेशन आदि डिजाइन करना होता है। यह सभी डिजाइन्स ग्राफिक टूल्स के माध्यम से तैयार करता है. जिन्हे बाद में फ्रंट एण्ड प्रोग्रामिंग भाषाओं के द्वारा वास्तविक रूप दिया जाता है। इस डिजाइन को एक वेब डवलपर वेबसाइट में जोड़ देता है। और इस तरह एक वेबसाइट बनती है। बहुत जगहों पर यह काम अकेला व्यक्ति ही देखता है, जिसे Full Stack Developer कहा जाता है। एक Full Stack Developer के पास वेब डिजाइनिंग तथा वेब डवलपिंग दोनों स्किल्स होती ह।
7 Network Administrator
ऑफिसों में एक साथ सैंकड़ों कम्प्यूटरों पर काम होता है, जो कंपनी, संस्थान, सरकारी विभाग, युनिवर्सिटी आदि संबंधित नेटवर्क से जुड़े रहते है, इन नेटवर्क का डिजाइन, इन्हे संभालना, टेक्निकल समस्याओं का निवारण जैसे काम एक नेटवर्क एडमिनिस्ट्रैटर करता है। इसमें सर्वर से लेकर क्लाइंट कंप्यूटर तक का सारा काम उन्हें संभालना होता है।
8 Computer Teacher
आप सिर्फ काम करने के लिए ही कम्प्यूटर नहीं सिखते है, बल्कि दूसरों को सिखाकर भी लिविंग कमा सकते है। यानि टीचिंग में भी आप करियर बना सकते है कम्प्यूटर सिखाने के लिए आपको कम्प्यूटर के साथ एजुकेशन डिग्री भी साथ में लेनी पड़ती है ,जिसे आप डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से भी प्राप्त कर सकते हैं।
9 Computer Operator
कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम सिर्फ कम्प्यूटर को ऑपरेट करना होता है, और इसका वास्तविक काम कार्य की जगह और पॉजिशन पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए एक होटल रिसेप्शन पर कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम रूम बुकिंग, रूम्स की स्थिति, बिल देना आदि काम अपडेट करना होता है। इसी तरह कॉल सेंटर में कॉल मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर को मैनेज करना तथा कस्टमरर्स के साथ बातचीत करना होता है। आप बेसिक कम्प्यूटर कोर्स के जरिए ही कम्प्यूटर ऑपरेटर का जॉब प्राप्त कर सकते है. इसके लिए किसी अतिरिक्त स्किल्स की ज्यादा मांग नहीं रहती है।
10 Data Scientist
इन्हे डेटा खोदक भी कहा जाता है, क्योंकि, इनका काम विभिन्न प्रकार का डेटा खोदना होता है और उसे डेटा का विश्लेषण करके अर्थपूर्ण हल निकालना होता है। डेटा साइंटिस्ट्स मुख्य रूप से बड़े-बड़े बिजनेसेस के साथ काम करते है, क्योंकि, यहीं पर डेटा इकट्ठा होता है। इस डेटा को विभिन्न श्रेणीयों में बांटना, उसका विश्लेषण करके कोई खास पैटर्न ढूँढ़ना, फिर किसी समस्या का हल खोजना जैसे महत्वपूर्ण काम डेटा खोदक करता है।
11 Data Entry Operator
डेटा एंट्री ऑपरेटर का काम कुछ-कुछ कम्प्यूटर ऑपरेटर से मेल खाता है, इसका काम कम्प्यूटर प्रोगाम में एंट्रीज प्रविष्टि करना होता है, जिसके बदले में उसे तनख्वा मिलती है इन्हे पर एंट्री के हिसाब से भी काम मिलता है, महीने के हिसाब से भी। इस काम को ऑनलाइन घर बैठे-बैठे किया जा सकता है। इस काम की प्रकृति पार्ट टाइम होती है. इसलिए, आप पढ़ाई के दौरान खर्चा निकालने के लिए इस काम को ट्राई कर सकते है।
12 Blogging
इंटरनेट से पैसा कमाने का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला और भरोसेमंद एवं विश्वसनीय तरीका है – ब्लॉगिंग.
आपको खुद का ब्लॉग़ बनाना है, और अपनी रुची, योग्यता के अनुसार कंटेट तैयार करके प्रकाशित करना है। अगर, आपका कंटेट दमदार हुआ और पाठकों को पसंद आता है, तो आप ट्रैफिक बढ़ाकर इसे फुल टाइम बिजनेस में बदल सकते है। ब्लॉगिंग के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप हमारी ब्लॉगिंग से संबंधित लेख को जरूर पढ़े। यहाँ पर ब्लॉग्गिंग से सम्बंधित पूर्ण जानकारी आपको मिल जाएगी।
13 Vlogging
ब्लॉगिंग से जुड़ा हुआ दूसरा फिल्ड है, विलॉगिंग जिसे यूट्युबिंग भी कहा जाता है। यानि आप यूट्यूब पर चैनल बनाकर वीडियो के द्वारा अपना ज्ञान लोगों को बांटते है। और इस ज्ञान को मोनेटाइज करके पैसा कमाते है। जिस तरह ब्लॉग़िंग से पैसा कमाया जाता है, ठीक इसी प्रकार विलॉगिंग से भी पैसा कमाया जा सकता है। व्लॉगिंग के बारे में हमारा लेख जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा।
14 Graphic Designer
यदि आपको पैंटिंग करने का शौक है, आपकी रूचि कला के क्षेत्र में है, तो आप इस करियर में हाथ आजाम सकते है। गेम, वेबसाइट, आइकन्स ना जाने कितने क्षेत्रों में ग्राफिक्स की जरूरत पड़ती है। एक क्रेटिव ग्राफिक डिजाइनर अपने ग्राफिक्स के द्वारा कृत्रिम दुनिया को वास्तविक जैसा बनाने का काम करता है। गेम्स में आपको जो दुनिया दिखाई जाती है, वह इन ग्राफिक्स डिजाइनरों द्वारा ही निर्मित की जाती है। आप 12वीं करने के बाद इस फिल्ड में एडमिशन लेकर तैयार हो सकते है। इन सभी जॉब्स के लिए आपको बेसिक कम्प्यूटर कोर्स से लेकर एडवांस कम्प्यूटर कोर्सेस जैसे BCA, PGDCA, B.Tech, M.Tech और सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्सेस करने पड़ते है। कम्प्यूटर कोर्सेस के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप हमारे दूसरे आर्टिकल पढ़ सकते हैं।
15 Computer Typist
जिस तरह पढ़ाई के साथ लिखना आना जरूरी है, ठीक उसी तरह कम्प्यूटर सीखने के साथ टच टाइपिंग /स्टेनो टाइपिस्ट भी कहा जाता है, आना भी बहुत ही जरुरी स्किल है। इस बात का जिक्र मैंने अपने टच टाइपिंग कोर्स में भी किया है, लेकिन इस तरफ ना तो सिखाने वाले ही ध्यान देते है, और स्टुडेंट्स को तो इस बात की क्या फिक्र? क्या आप जानते है? कम्प्यूटर ऑपरेटर से ज्यादा एक टच टाइपिस्ट की वैल्यू होती है। आपको हैरानी हो सकती है, पर यहीं सच है आप किसी भी कोर्ट में चले जाइए वहां पर आपको एक टाइपिस्ट की वैल्यू का अंदाजा लग जाएगा। जब आपको प्रति शब्द कीमत चुकानी पड़ेगी। भारतीय अदालतों में टाइपिस्ट का पद भी होता है। इसलिए आप इस साधारण सी स्किल जिसे नदरअंदाज कर दिया जाता है, इसे अच्छी सरकारी नौकरी भी प्राप्त कर सकते है।
कंप्यूटर संरचना/Computer Architecture
इनपुट यूनिट/Input Unit
इस यूनिट के अंतर्गत कंप्यूटर के वो भाग या Hardware सम्मिलित होते हैं, जिनके द्वारा कंप्यूटर के अंदर कोई भी या किसी भी तरह का Data एंटर किया जा सकता हो। इनमे Keyboard ओर Mouse सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा भी Scanner, Camera, Light Pen ओर अन्य डिवाइस भी इनपुट के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
प्रोसेसिंग यूनिट/Processing Unit
सीपीयू को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है। इसके अंतर्गत Processing का सारा काम आता है। CPU ही इनपुट किये गए Data को Process करता है। इसके लिए Central Processing unit ओर Arithmetic Logic Unit दोनो मिलकर हर तरह की गणना करते हैं। इसमे अंकगणितीय गणना ओर तार्किक गणनाएँ शामिल हो सकती हैं।
मेमोरी/Memory
किसी भी कंप्यूटर के अंदर Memory वो स्थान होती है, जहां पर कंप्यूटर के अंदर Input किये गए Data को Save या संग्रहित किया जाता है। ये Primary ओर Secondary दो तरह की होती है। इसमे RAM ओर HDD यानी Hard Disk Drive दोनो शामिल होती हैं।
आउटपुट यूनिट/Output Unit
कंप्यूटर के अंदर आपके द्वारा दी गयी Command या Instructions के आधार ओर कंप्यूटर आपको उसका Output देता है, जिसे हम Soft Copy के रूप में या Visual के रूप में Computer Monitor पर देख या पढ़ सकते हैं। Hard Copy आउटपुट के लिए हम Printer का इस्तेमाल करते हैं। प्रिंटर भी एक आउटपुट डिवाइस होता है।
Computer Architecture in Hindi
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आपने दी जानकारी अच्छी लगी और पढ़ने में आसान है HarShBhai.Com की और से धन्यवाद
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